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नए साल पर आम लोगों को महंगाई से राहत का बड़ा तोहफा मिलने जा रहा है. देश में खाद्य तेल (Edible Cookin

Cooking Oil Price Cut: आम आदमी को नए साल का तोहफा, इन कंपनियों ने घटाए खाने के तेल के दाम

नए साल पर आम लोगों को महंगाई से राहत का बड़ा तोहफा मिलने जा रहा है. देश में खाद्य तेल (Edible Cooking Oil) का उत्पादन करने वाली कई कंपनियों ने इनके दाम में कमी करने की घोषणा की है. इससे लोगों के मंथली बजट में अच्छा खासा फर्क पड़ेगा.‘फॉर्च्यून’ ब्रांड नाम से खाने के तेल बनाने वाली अडानी विल्मर समेत रुचि सोया,आमआदमीकोनएसालकातोहफाइनकंपनियोंनेघटाएखानेकेतेलकेदाम इमामी जैसी कंपनियों नेदाम 10 से 15 फीसदी कम किए हैं. तेल उत्पादकों के उद्योग मंडल सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) का कहना है कि इन कंपनियों ने उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए तेल की कीमतों में कटौती की है.अडानी विल्मर ने फॉर्च्यून ब्रांड के तेलों की कीमत घटाई है. बाबा रामदेव की कंपनी रुचि सोया ने महाकोश, सनरिच, रुचि गोल्ड और न्यूट्रेला ब्रांड के तेलों की कीमतें कम की हैं. इसके अलावा इमामी ने हेल्दी एंड टेस्टी ब्रांड पर, बंज ने डालडा, गगन, चंबल ब्रांड पर और जेमिनी ने फ्रीडम सूरजमुखी तेल ब्रांड पर कीमतें घटाई हैं.इस साल सरकार ने कई बार रिफाइंड और कच्चे दोनों प्रकार के खाद्य तेलों पर आयात शुल्क (Import duty) कम किया है. इससे इनके आयात की लागत घटी है. सरकार ने 20 दिसंबर को खाद्य तेलों पर आयात शुल्क 17.5 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया है. यह मार्च 2022 तक लागू रहेगा.तेल की खपत को देखते हुए सरकार ने व्पायापारियों को दिसंबर 2022 तक बिना लाइसेंस रिफाइंड तेल आयात करने की अनुमति दी हुई है. कुछ दिन पहले केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने खाद्य तेलकंपनियों के साथ बैठक की थी. बैठक के बाद सुधांशु पांडे ने कहा थाकि तेल की कीमतें काफी ज्यादा है और इसमें कमी होनी चाहिए, क्योंकि इंपोर्ट ड्यूटीमें कमी की गई. इसके बाद कंपनियों ने तेल की कीमतेंकम की हैं. भारत में तेल की कुल घरेलू खपत 2.2 से 2.25 करोड़ टन की है. इसमें करीब 1.5 करोड़ टन की आपूर्ति आयात से होती है.

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